छात्राओं से हो रहे यौन उत्पीड़न के मामले गंभीर चिंता का विषय दोषियों को मिले कड़ी से कड़ी सजा: अभाविप  

छात्राओं से हो रहे यौन उत्पीड़न के मामले गंभीर चिंता का विषय दोषियों को मिले कड़ी से कड़ी सजा: अभाविप  

अक्स न्यूज लाइन शिमला 26 जून :


अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश की प्रदेश मंत्री नैंसी अटल ने बयान जारी करते हुए कहां कि हिमाचल प्रदेश में छात्राओं से यौन उत्पीड़न की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है। जिला सिरमौर के राजगढ़ उपमंडल के बाद अब पच्छाद उपमंडल के एक सरकारी विद्यालय में एक शिक्षक पर करीब 6 नाबालिग छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगे हैं। पुलिस ने तत्काल संज्ञान लेते हुए आरोपी शिक्षक के विरुद्ध पोक्सो एक्ट सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है।


प्रदेश मंत्री नैंसी अटल ने कहां कि विद्यार्थी परिषद इस घटना की घोर निंदा करती है और यह मांग करती है कि इस मामले में निष्पक्ष व त्वरित जांच कर आरोपी को जल्द से जल्द कड़ी सजा दी जाए। यह न केवल छात्राओं की सुरक्षा का सवाल है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की गरिमा पर भी आघात है। इससे पूर्व जिला सोलन व मंडी में भी ऐसे ही मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन सरकार व प्रशासन की निष्क्रियता के चलते ऐसी घटनाएं दोहराई जा रही हैं।


प्रदेश सरकार को अब केवल बयानबाजी से आगे बढ़कर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। दोषियों को ऐसी सजा दी जाए जो प्रदेश में एक मिसाल बन सके, ताकि कोई भी व्यक्ति विद्यालय जैसे पवित्र स्थल को कलंकित करने की हिम्मत न कर सके। इसके साथ ही शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस नीति बनाई जाए तथा सभी स्कूलों में समय-समय पर छात्राओं की काउंसलिंग और शिकायत निवारण तंत्र को सक्रिय किया जाए।


प्रदेश मंत्री नैंसी अटल ने कहां कि यदि प्रदेश सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं लेती है और कोई ठोस कार्यवाही नहीं करती है, तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश राज्यभर में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर व्यापक आंदोलन छेड़ेगी। परिषद हर जिले और उपमंडल स्तर पर प्रदर्शन करेगी, धरने देगी और प्रशासन को जवाबदेह बनाएगी।


छात्राओं की गरिमा और सुरक्षा के लिए विद्यार्थी परिषद सदैव संघर्षशील रही है और आगे भी यह संघर्ष और तेज किया जाएगा। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक आरोपी को कठोरतम सजा नहीं मिलती और प्रदेश सरकार एक सशक्त और जवाबदेह तंत्र स्थापित नहीं करती।